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३३४ो लँबेचू समाजका इतिहास * मालिक (पोद्दार गोत्रीय ) लम्बेच जैन जिन्होंने अपनेको केवल धर्मको लेकर सरावगी ही लिखा है। उन्होंने इटावा गजटियरसे कुछ इतिहास इटावा दिगम्बर जैन मन्दिर गाढ़ीपुराकी रिपोर्टमें दिया है। उसमें उडुमरावको उद्धवराव लिखा है, उनके पुत्र सुमेरसिंह जिन्होंने इटोबाका राज्य किया, इटावामें किला बनवाया, जिन मन्दिर बनवाया, जो आजकल अजैनोंक कब्जेमें है उसे त्रिकुटीके महादेवका टिकसीका मन्दिर बोलते हैं। यह दिगम्बर जिन मन्दिर था । ब्रह्मचारी शीतलाप्रसादजी करीब २८-२६ वर्ष पहले आये थे तब तक उस मन्दिरमें खण्डित जिन मूर्तियोंके खण्डभाग रखे थे और अब भी कुछ भग्नावशेष टुकड़े रखे हैं ऐसा सुनते हैं। उन सुमेरसिंहको शाहकी पदवी थी, तो चोहानोंमें और भी राजाओंको शाह पदवी थी। टेकसीके मन्दिरके पास विद्यापीठ है। वहाँपर एक बड़ा सरस्वती भण्डार है। जब शाह पदवी चोहानोंके राजाओंमें थी, तब इटावा मजेटियरमें लिखा है कि रियासत परताप नेहर इटावेकी सबसे प्राचीन बड़ी ज़मींदारी है। इस रियासतके २१ मुस्लिम मौजे