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१४४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * चला। सं० १८२५ के तारण पंथी हुआ। सं० १८१४ में तिपिच्छ हुआ। सं० १६०० में भीमंत हुआ। भिंडी ऋषि १२४६ में भिंड भये श्रीमुनि कुंद कुंद भये पल्लीवाल ज्ञातीय माता कुंदलता । सेठ कुन्दन नाम पञ्च कुन्दकुन्द १ वक्रग्रीव २ अकाल पाठ पढ़ता वक्रगीव सोही विदेह में गया। तदि एलाचार्य कहाये। सोही पीछी गिर गई तहीं गृद्ध की पीछी घरयाँ घृद्धपच्छाचार्य कहाये। ज्ञान करि पहन्त भये । तातै मानतुङ्ग ५ भये। उमा स्वामी से पूर्व सम्बत् १०१ के उमास्वामी गोधा १४२ सम्बत में लोहाचार्य लमेच यहाँ से पूर्व के दक्षिण के पद दो दो भये । सम्बत् १५३ यशाभद्र गँगेरवाल संवत् २११ यशोनन्दि जैसवाल संवत् २५८ नन्दि पोरवाड़ सम्बन् ३५३ गुणनन्दि गोला पूरब सं० ३६४ वचनन्दि अग्रवाल सं० ३८३ कुमारनन्दि सहजवाल सं० ४२७ लोकचन्द्र लँमेचू सं० ४५३ प्रभाचन्द्र पञ्चम् सं० ४७८ नेमिचन्द्र नैगम सं० ४८७ भानुनन्दि दसर सं० ५०० सिंहनन्दि श्रीमाल सं० ५२६ वसुनन्दि वदनोरा संवत्५३१माणिक्यनन्दि अग्रवाल संवत्५३१लों पट्ट मालवदेश उजीयनी नगरी में हुआ । संवत् ६०१ मेघचन्द्र