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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * २२७ से भी टक्कर ली और विजय पाई तथा किसी 'हम्मीर वीर' की कुछ सहायता भी की थी। कुछ शल्य दूर की थी। संभव है ये 'हम्मीर वीर' संस्कृत के हम्मीर काव्य तथा हिन्दीके हम्मीर रासो आदि ग्रन्थों के नायक रणथंभोर' के राजा हम्मीरदेव ही हों । अलाउद्दीन खिलजी द्वारा रणथंभोर की चढ़ाईका समय सन् १२६६ ई० माना जाता है। इसी युद्ध में 'हम्मीरदेव' मारे गये थे। वर्तमान उल्लेख और इस लड़ाई के बीच ४२ वर्ष का अन्तर पड़ता है। यह अन्तर एक ही व्यक्ति के जीवनकाल के लिये कुछ असम्भव नहीं है।
आहवमल्ल की वंश-परम्परा कवि ने जमनातट के 'चंदवाड' नगर से बतालाई है। वहाँ पहले चौहानवंशी राजा भरतपाल हुए, उनके पुत्र अभयपाल, उनके जाहड़ उनके श्रीवल्लाल और उनके आहवमल्ल । अनुमान होता है कि आहबमल्ल के समय में या उनसे पूर्व राजधानी 'रामवदिय' हो गई थी। या यहाँ 'चंदवाड' वंश की एक शाखा स्थापित हुई होगी। दोनों नगर जमुना तट पर ही थे और पास पास ही रहे होंगे। प्रस्तुत समय में देश के