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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
उसी समयसे महात्मा गान्धीजीका दबदबा बढ़ा था । श्रीमान रानीवाले सेठि खुर्जावाले पद्मराज जैन भी सत्याग्रह में जेल गये थे। जबहीसे स्वराज्यका दवदवा विशेष रूपसे चला। हम बाबू पद्मराज जैनके मकानमें कलकत्तमें रहते थे, तब उन्हें जेल में देखने जाते थे, स्वराज्यवादी लोग जो खाद्यपदार्थ चाहते थे गवर्ममेंटको वही पहुंचाना पड़ता था। हमको मुन्नालाल द्वारकादासका घी चाहिये, अम्बरसरी चावल चाहिये, तो खानेके लिये स्वराज्यवादी सत्याग्रहियों को दिया जाता था, तो गान्धीजीका राज्यकाल १६७५ से बढ़ा और संवत् २००३ और २००४ में पूर्ण स्वराज्य मिल गया, भारतीय प्रजाको जब तो गान्धीजीका पुण्य प्रकर्ष था और पुण्य क्षीण हुआ तो गोड्से द्वारा धोखेमें गोलीसे मारे गये। जिस प्रजाके लिये इतना किया और उसी प्रजाके मनुष्यने कृतघ्नता देकर समाप्त कर दिया। यह पुण्य पापका खेल नहीं तो क्या है, इसलिये जीवको धर्मका हमेशा ख्याल रखना चाहिये। इसी प्रकार द्वारका भस्म हो गई कृष्ण वलदेव महाराज द्वारावती स्थानसे चलकर कौशाम्बीके वनमें चलते-चलते पहुँचे, वहाँ कृष्ण महाराजको