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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३१३
भागे चले गये, देरी नहीं लगी। जिनको लोग यह कहते थे कि बड़ी शक्ति है, सेनादिकी तिन्हें जाते देरी न लगी । प्रजातन्त्र राज्य हो गया, पाप पुण्य (धर्म) का विचार करो कि जिन्ही गान्धीजीने सत्याग्रहकी शिक्षा देकर प्रजातन्त्र राज्य कराया, पुण्यका उदय भया संवत् १२७५ से राज्यकाल शास्त्र त्रैलोक्यसार आदिमें लिखा था । जन्मपत्री भी दी थी पहिले हमारे मामाने पं० मुंशी नाथूराम पचोलयेने उतार कर रखी थी, हमने देखी थी पीछे वह हमसे खो गई फिर हम संवत् १६८५ में खुर्जा में भाद्र मासमें दशलक्षण पर्वमें लोग हमें ले गये, तब हमने खुजाके मन्दिर में देखी शास्त्रमें ( जैन सिद्धान्त में ) हजार वर्ष बाद कल्कीका होना लिखते हैं और ५०० पाँच Haबाद अकल्की होना लिखा है । तव श्रीवर्द्धमान महावीर भगवानको मोक्ष गये ढाई हजार वर्ष हुआ तो उसी हिसाब से गान्धीजी ही अकल्की ठहरते थे और हमने देखा भी गान्धीजीका दबदबा वि० सं० १९७५ से ही विशेष चला । जब कलकत्ता में एनीवेसेण्ट आई थी और बड़ी धूमधामसे ६ घोड़ा लगाकर गाड़ी निकाली गई थी ।