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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
उत्तर तरफ भी पद ( पग ) न किये। किन्तु दक्षिण तरफ पैर ( पद कर ) पैर पे पैर रखकर सोये पीताम्बर ओढ़े थे सो उस समय जरत्कुमार वनमें भ्रमण करते हुए उधर आ निकले । दूरसे उन्होंने तीर चलाया । वह तीर श्रीकृष्णकी पगथली में लगा और पदमें गहरी चोट आई। श्रीकृष्ण महाराज जोर से चिल्लाकर कहने लगे कि कौन हमारा बैरी आ गया जो पैर में तीर दिया। आवाज सुनते ही जरत्कुमार दौड़कर आये देखा कि कृष्ण हैं ।
भगवानने जो दिव्य ध्वनिमें कहा था कि द्वारिका भस्म होगी और कौशाम्बीके वनमें जरत्कुमारके तीरसे कृष्णके प्राण जायेंगे वह दिन उपस्थित हो गया। जिस कारण मैंने द्वारावती छोड़ी और वनवन भटकता फिरता रहा कि ऐसा मौका मुझे न मिले, वही दिन उपस्थित हो गया । श्रीकृष्णने समाचार कहै कि द्वारका भस्म हो गई और मैं फिरता फिरता वनमें यहां आ गया बड़े भाई वलदेव पानी लेने गये हैं वे ऐसा हाल देखकर तुम्हें मार डालेंगे हमलोगों में हमारी जानमें तुम्ही एक वसुदेवकी सन्तानमें बचे हो । अब तुम दक्षिण मधुरामें पाण्डवोंके निकट जाओ