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* श्री लॅबेचू समाजका इतिहास * ३२७ आशीर्वाद देते हैं। इस प्रकार कर्मभूमि की आदिसे ही इक्ष्वाकुवंश श्री ऋषभदेवने इक्षु रसका आहार किया तथा इक्षु गनाओंका संग्रह करवाया। इससे इक्ष्वाकुवंश और उनके पुत्र भरतसे भारतवर्ष क्षेत्र भया और भरतके पुत्र अर्ककीर्ति अर्क माने सूर्य उनसे सूर्यवंश और उनकी संतान दर मंतानमें रघुराजा भये। उनसे रघुवंश उसी प्रकार ऋषभदेवने राजा हरिकान्तका राज्याभिषेक कराकर हरिवंश स्थापित किया। उसी वंशमें राजा यदु भये और उनसे शौर्यवीर दो पुत्र भये और शौर्यसे समुद्र विजयादि दश पुत्र भये, इसीसे दशार्ह देश कहलाया। सूरीपुर वटेश्वर मथुरादि वसुदेवादिक समुद्र विजयसे नेमिनाथ, बसुदेवसे कृष्ण बलदेव इस प्रकार हरिवंशमेंसे यदुवंशकी उत्पत्तिका वर्णन किया।
॥ यदुवंश उत्पत्ति वर्णनम् ॥