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३१६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * है नाभि राजाकी मूर्ति हाथी पर है, कहाँ है ख्याल नहीं रहा या हाथी पर ही दोनों हैं और जिन मन्दिर दरवाजे के बाहर एक पत्थर छोटा गढा है, उस पर मुसलमान भाई पीर मानकर पूजत हैं । यह क्षेत्र तो उदयपुरसे पहाड़ी रास्ता जाकर चित्तौड़ राज्य राणाओंके राज्यमें हैं। और कैलाश पर्वत पर जो हिमालयकी तरहटी समझी जाती है, उस कैलाश पर्वतके प्रारंभ क्षेत्र पर जो बद्रीनारायणकी मूर्ति है और जिन मन्दिर है। जहाँ लक्ष्मण झला पार कर जाते हैं। हमारी समझमें सगरचक्रवतीके ६० हजार भागीरथ आदि पुत्रोंने कैलाशको अगम्य करनेके लिये खाई खोदी थी और खोदते-खोदते उस पहाड़क टूटनेसे ६० हजारह पुत्र दबकर मर गये थे कंवल अकले १ भागीरथ बचे थे जिनकी कहावत हैकि गंगा तो आनेवाली ही थी, भागीरथक सिर चढ़ी यह वहीखाई लक्ष्मन झलाहै। इसखाई खोदनेका जिकर (वृत्तान्त) जैनहरिवंश पुराण या पद्मपुराण आदिपुराणमें किसी एकमें है। हमने पढ़ा है, सुना है, वही लक्ष्मणको पार कर बद्रीनारायण अब बोले जाते हैं। सारा संसार जिन्हें पूजता है; वह बद्रीनारायण