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२८२ * श्री लॅबेचू समाजका इतिहास * कवल अदालती खर्च १६) रु० लिये फीस कुछ नहीं ली । दूसरा मुकद्दमा श्वेताम्बरोंसे चला फोजदारी दीवानी २४ वर्ष सं० २००४ वि० सं० में हाईकोर्ट से जीत तंजबहादुर सप वैरिष्टर की वकालत में खेवट दिगम्बर जैनका था । कायम रहा इसी सरीपुरमें भगवान श्रीनेमिनाथका ६ नवमें महिना जन्म भया। श्रावण शुक्ला ६ को इन्द्रादिक देव सुमेरु पर ले गये क्षीर सागरकं जलसे अभिषेक किया । लोटकर ऐरापति हस्तीपर लाकर शौर्यपुरमें उत्सवकर भगवानकी पूजाकर चले गये।
उधर श्रीकृम महाराजने कंसको युद्धमें मारा था, उसके बाद कंसकी स्त्री जीवंजशा पतिके मारे जानेसे मगध देश राजगृह नगरीमें अपने पिता जरासिंधके पास जाकर रुदन किया, जब जरासिंधने श्रीकृष्णादि यादवों पर युद्धके लिये चढ़ाई करनेको उद्यत हुआ। यह बात सुनकर सब यादव डरे, भयभीत भये कि, जरामिंध त्रिखण्डी और हम साधारण राजा इस भयसे सब यादव उस समय नेमिकुमार छोटे थे। श्रीकृष्ण वलदेव समुद्र विजय वसुदेवादि सव यह बात श्रवण करिके जरासिंधने यादवों पर चढ़ाई कर