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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * २८१ भरता है वैष्णव और शैवलोगों के घाटों पर महादेवक मन्दिर हैं। ____ उन्हीं के बीच में बड़ा विशाल दिगम्बर जिन मन्दिर ४ तल्ला खनका है जिसके दोखन जमुना में डुबे रहते हैं। जमुना की धार बहती है। इस मन्दिरका जीर्णोद्धार करक नये सिरेसे श्रीमान पूज्य श्री जिनेन्द्रभूषण दिगम्बर जैन भट्टारकने बनवाया। मन्दिरजीक साथ सटी हुई धर्मशाला भी बनवाई तथा दुकाने भी मन्दिरकी तरफसे हैं । सरकारी निजलसे मुकदमा चला भट्टारक रामपालयती हमारे पास इलाहाबाद (प्रयाग) में गये हम उन दिनों इलाहाबाद जैन पाठशालामें पढ़ात थे। हमारे पास रहै वहाँ श्रीमान मुन्दरलाल जुड़ीसल तथा श्रीमान पं० मोतीलालजी नेहरू श्रीमान भारत मन्त्री पं० जवाहरलालजी पिता बड़े-बड़े बेरिस्टर थे मुकद्दमा छोटा होनेसे इन लोगोंने लिया नहीं तब एक हरनामदास बाबू वकील थे उनके पास गये नये वकील थे आर्य समाजी थे जैन सिद्धान्तपर कई बातों पर प्रश्न किये हमने उत्तर दिया खुश हुये बोले अच्छा तुम्हारा धर्मका मुकद्दमा है हम लेते हैं ले लिया और रजितादिया