________________
२६६
* श्री लँबेचू समाजका इतिहास
सेना सहित केशवसे आय मिले दशार्ह अन्धक वृष्टिके पुत्र भोजक वृष्टिके पुत्र राजा समुद्र विजय श्रीनेमके पिता तिनके साथ अक्षोहिणीकं प्रति ६ हजार हाथी ६ लक्ष रथ ६ कोटि तुरङ्ग घोड़ा ६ अरब प्यादे इतनी सेनाके पति मेरु राजा seariant अधिपति राष्ट्रवर्द्धन देशका राजा अर्द्ध अक्षोहिणीका स्वामी सिंहल देश लंकाका अधिपति राजा पद्मरथ अर्द्ध अक्षोहिणीका पति और राजा सकुनका भाई चारुदत्त चोथाई अक्षोहिणीका पति और चरवर देश (चीर वेके) स्वामी यवन दशके आवीर देशके राजा कांभोज द्रविड़ मैसूर दशकं अधिपति हरि की पक्षमें आये । तहाँ यादवों के कटकमें समुद्र विजयकुमार श्री नेमिनाथका द्विमात भाई रथनेमि और बलभद्र नारायण ये तीन तो अतिरथ कहिये बाधाओं में श्रेष्ठ सवनिके शिरोभाग हैं, इनके तुल्य भरत क्षेत्र में कोई सुभट नहीं था और राजा समुद्र विजय वसुदेव युधिष्ठिर भीम अर्जन रुक्म ( रुक्मिणीका भाई) प्रद्य ुम्न कृष्णका पुत्र सत्यक धृष्टद्युम्न ( द्रौपदीका भाई ) अनावृष्टि ( कृष्णक बड़े भाई ) और राजा शल्य राजा भूरिश्रवा हिरण्यनाभि सहदेव सारण ये राजा सर्वशास्त्रों