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* श्री लँबेचू समाज का इतिहास
हाथी २ हजार रथ पांच २ हजार घोड़े और १६ सोलह २ हजार प्यादे और इससे चतुर्थ भाग चोतिहाई विभूति सहित छ राजा नेमि कहिये चक्रकी धुराको समीप तिष्ठ मध्य स्थानमें जरासिंधक डिंग कर्ण आदि पाँच हजार राजातिष्ठे उनके बीच में धृतराष्ट्रके पुत्र दुर्योधनादिक खड़े और भी राज समूह पूर्व भाग में तिष्ठ और भी बड़े २ राजा ५० चक्रधुरावे पठे चक्रव्यूहके बाहर अपनी २ सेना सहित और भी राजा खड़े तथा बैठे यह चक्रव्यूह प्रति नारायण जरासिंध के कटक में रचा यादवोंका सेनापति अनावृष्टि और यादवोंने अपने कटकमें गरुड़ व्यूह रचा गरुड़के आकार में सेना स्थापित की, पचास लाख कुमार चोंचके पास था वे और महावली बलदेव तथा कृष्ण गरुड़के मस्तक ठोर ठाड़े भये, और कृष्णकं भाई अक्रूर कुमुद सारण विलय जय पद्य जरत्कुमार सुमुख दुर्मुख और कृष्णकी बड़ी माता मदनवेगाका पुत्र दृढमुष्टि महारथी और महारथ विद्थ अनावृष्टि इत्यादि वसुदेवक पुत्र और वलदेव वासुदेव पीठ पीछेक रक्षक करोड़ों रथ सहित भोजवंशी खड़े बलभद्र और नारायण दोऊ रथपर चढ़े और