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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * २३१ नाम का स्टेशन है। यह जमना के उत्तर तट पर ही है। इसी का प्राचीन नाम संभवतः रायभद्र या रायभद्री होगा जो रायवद्दिय में परिवर्तित होकर अब रायभा हो गया है।
चन्दवाड के सम्बन्ध में मेरे सुहृदवर पं० नाथूरामजी प्रमी ने सूचित किया कि गुजराती में पं० जयविजय कृत संमेत-शिखर-तीर्थमाला नाम की एक पुस्तक है जो प्राचीन तीर्थमाला संग्रह, प्रथम भाग में छपी हुई है। इसमें 'चन्दवाडि' का उल्लेख आया है जो फीरोजाबाद ( जिला आगरा ) के समीप बतलाया गया है और कहा गया है कि वहां से सौरीपुर क्षेत्र तीन कोस पर है। यह पुस्तक मं० १६६४ की बनी हुई कही गई है। इसी तीर्थमाला संग्रह में सौभाग्यविजय कृत 'तीर्थमाला' संवत् १७५० की बनी हुई छपी है, उसकी पबली ढाल में लिखा हैदेहरा मरना देव जुहारी। फोरोजबाद आया सुखकारी । तहाँ थी दक्षिण दिशि सुविचारी । गाउ एक भूमि सुखकारी। चन्दवाडि मांहि सुखदाता । चन्द्रप्रभु वन्दो विख्याता।