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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
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का १३ सूत्रों का १४ सूत्र कर दिये ऋक् सूत्रका ऋल्टक किया । इत्यादिके जानकार थे। पहिले राजा लोग सब संस्कृत पढ़े होते थे, जैसे भोज थे ।
॥ श्रीः॥ श्री हरिवंश (यदुवंशका) इतिहास
अव हम यदुवंश कहाँ से चला इस विषय पर लिखते हैं :
जैन सिद्धान्तानुसार समय परिवर्तन रूप काल का १ कल्पकाल का एक अपसप्पिणी एक उत्सप्पिणी दो काल होते हैं । एक अपसप्पिणी के ६ काल। १ सुखमा सुखमा, २ सुखमा, ३ सुखमा दुखमा, ४ दुखमा मुखमा, ५ दुखमा, ६ दुखमा दुखमा । पहिले और दूसरे काल को सतयुग कहते हैं। अजैन ग्रन्थों में भी सतयुग लिखा है। युग माने दो के हैं। पहिला दूसरे काल के जोड़े का सतयुग