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* श्रो लँबेचू समाज का इतिहास भाकरमें राष्ट्रकूट ( राठोर ) वंशमें भये । और महाविशेषण देने से महाराष्ट्र ( मरहटा ) वंश हुआ लिखा है और गुहिल वंश में कुंभा राणा बड़े भारी विद्वान थे। और इनकी स्त्रीने " त्रैलोक्य, दीपक" श्री पार्श्वनाथ भगवानका जिन मन्दिर बनवाया समवसरण चतुर्मुख श्री युगादीश्वर जिन मन्दिर राणपुरमें बनवाया । गुणराज मित्रने बनवाया और श्री पार्श्व जिन मन्दिर इनकी स्त्री जयतवल्ला देवीने बनवाया । और ये बड़े विद्वान् थे इनके विषय में अष्ट व्याकरणी विकास्युपनिषत्स्पष्टाष्टदंष्ट्रोत्कटः पट इत्यादि दो लोकों में १७२/१७३ में उदय पुर राज्य के इतिहास में पेज ६२५ पेजमें दिये हैं जो इन्द्र चन्द्र काशिकाकार शिली शाकटायन पाणिनि और अमर तथा जैनेन्द्र इन आठों व्याकरणोंके जानकार थे, इनमें इसमें इन्द्र नन्दि आचार्य का इन्द्र व्याकरण जैन है । चन्द्र कीर्ति जैन काशिकाकार जैन शाकटायन जैन अमर जैन जैनेन्द्र व्याकरण जैन और कलाप व्याकरण जैन जिसका प्रथम सूत्र सिद्धोवर्णसमाम्नाय : और जैनेन्द्रका प्र० सूत्र सिद्धिरने कालात् शाकटायनका अइउण्ट इत्यादि जो इसी