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अलबेचू समाजका इतिहास * चौहानोंकी एक छोटी शाखाने ( नाडोल ) जोधपुर राज्य में राज्य स्थापित किया । बुंदेलखण्डमें भी आघाटपुर आहार्य क्षेत्रमें लम्बेचुओंकी प्रतिष्ठा कराई प्रतिमा मिली हैं तो वहाँ परमारवंशी जादे रहैं और परमार वंश भी खीची चौहानोंमें हैं। हमने गुजरातके हुंमड भाइयोंको पूछा वे भी अपने को चोहान वंशमें बताते हैं ईडरगढमें राणा केशरी सिंह प्रतापसिंह चौहान वंशियोंका राज्य रहा है। डूंगर पर सं० १००० एक हजार संवत् की प्रतिष्ठित प्रतिमायें हैं देखना चाहिये तारंगाजीक पास है।
राजा लोग संस्कृत विद्वान होते थे उसका दिग्दर्शन आगे गुहिल राणा बंश में और चोहान राणा वंशमें बड़े बड़े विद्वान् हुये हैं । चोहान वंशमें वाकपति राज राजा अमोघ वर्ष जिन्होंने शाकटायन व्याकरण पर अमोघवृत्ति टीका बनाई। जिसका गण पाठ धातु पाठ सिद्धान्त कोमुदी पाणिनी व्याकरण में दिया है। ऊपर लिख आये हैं। इन्हींके वंशमें दुर्गदन्ति प्रथम कृष्ण द्वितीय कृष्ण आदि हुये उसी वंशमें श्री शिवानी राव हुये और राजपूताने इतिहास में गुहिल वंश में हुये बताये, परन्तु जैन सिद्धांत