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२७२ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * कहा । इन्हींसे इक्ष्वाकु वंश चला और इन्हींके ज्येष्ठ पुत्र भरत चक्रवर्ती राजा भये जिन्होंने एक आर्य खंड और ५ म्रच्छ खण्ड इन छः खण्ड का राज्य किया तथा इनकी आयुधशालामें (सुदर्शनचक्र) चक्ररत्न उत्पन्न भया जिससे ६ खण्ड की पृथ्वी साधि ३२ हजार मुकुट वन्द्ध राजाओंके अधिपति भये यद्यपि इस क्षेत्रका नाम अनादिका भरत क्षेत्र है तथापि वर्तमान में उन भरत महाराज चक्रवतीसे इसका नाम भारतवर्ष भया उन ऋषभदेव भगवानने प्रथम ही महाभाग हरि ? अकंपन २ काश्यप ३ सोमप्रभ ४ इनका यथायोग्य सम्मान करि कर्मभूमिकी आदिमें अभिषेक कराया और चार हजार राजा महामण्डलीक था भगवान की आज्ञासे सोमप्रभ कुरुवंशीनिका शिखामणि कुरुजांगल देशका राजा भया और राजा हरिका हरिकान्त नाम धरा (हरिकासा) इन्द्र कैसा पराक्रम जाका सो हरिवंश का अधिपति भया भुवनका ईश जाके प्रसन्न होते कहा न होय और राजा काश्यप जगतगुरुके प्रतापसे मघवानाम पाया और उग्र वंशका अधिपति भया और कच्छ महाकच्छ आदि राजाको राजाधिराज पद पै थापा और साठों को पेलि रस