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* श्री लँबेचूसमाजका इतिहास *
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का संग्रह कराया । लोकनको ताते भगवानको इक्ष्वाकु कहा और गौ नाम स्वर्ग तिसमें उत्कृष्ट सर्वार्थसिद्धि विमान तहां से चय अवतार लिया, ताते गौतम भी कहिये और कश्यपी नाम पृथ्वीका है सो पृथ्वीका पालन किया, जाते कश्यप कहिये । जीविकाओंका ( उपाय ) असि १ मसि २ कृषि ३ वाणिज्य ४ विद्या ५ शिल्प ६ इन पट कर्मका उपदेश दिया ताते मनु भी कहा और कुलनके कर्ता ताते कुलकर और विधि कर्ता (विधि विधान बनाया) तातें विधाता ब्रह्मा भी कहिये । ये अक्षर हमने आदि पुराणकी हिन्दी टीका के लिखे हैं, ये श्री जिनसेन आचार्य के वाक्य ८०० आठ सौ शताब्दीके हैं मूलसंघ आम्नायके । और हरिवंश पुराण से भी हरिकान्त से ही हरिवंशकी उत्पत्ति कही इसी हरिवंश में श्री मुनिसुव्रत तीर्थकर भगवान २० वे तीर्थंकर भये । और इसी वंश परम्परा में राजा यदु भये । यदु राजा के नरपति और नरपति के दो पुत्र भये, शूर१ और दूजे वीर शूर राजाके नामसे शौर्यपुर ( सूरीपुर ) वसा जो जमुनाके किनारे ( वटेश्वर ) के नाम से अव प्रसिद्ध है, उसीकी पुरानी नगरी सूरीपुरके नामसे विख्यात है उन शूर
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