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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * २७५ ने कंश को कहा था कि देवकी का पुत्र कंश और जरासिंध का मारने वाला होगा इसी कारण जब देवकी के गर्भ में बालक आता था तब वह मथुरा में अपने घर बुला लेता अपने घर प्रसूति कराता कंस प्रकृति का बड़ा दुष्ट था जब यह उग्र सेन की स्त्री पद्मावती के गर्भ में आया था तब ही पद्मावती को खोटे २ स्वम आये थे जो माता पिता को कष्ट देने के सूचक थे इसीसे उग्रसेनजीने एक मञ्जपा में रख अपना पुत्र कंश लिख मज्जषा ( पेटी ) जमुना में वहा दीथी और वह जरासिंध की राज्य में पकड़ी गई जरासिंध ने पाला और अपनी पुत्री जीवंजशा परणादी थी फिर यह अपना राज्य मथुरा में जान मथुरा आगया और मथुरा में आकर पूर्व वैर से माता पिता को जेल में डाल रक्खा था देवकी ने तीन वार गर्भ में दो-दो बालकों का जुगल आया वे चरम शरीरी* थे सो देव इन्हें उत्पन्न होते ही उठा ले जाते और एक सेठानी के मरे जुगल होते उन्हें यहाँ पटक
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___ * जो उसी शरीर से मोक्ष हो, उसे चरम शरीरी कहते हैं । चरम याने आखीर का ( शरीर ) देह फिर जन्म न लेवे दूसरा शरीर धारण न करै वह चरम शरीरी कहलाता है ।