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२५४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * सनमान जानत जहांन सो जपत जिन नाम है ॥ जादोराइ वंश भये अंश चुन्नीलालजीके कहत गुलाव बाढो बहुधन धाम है । नेकीकी नजर धर्म ही की टंक टेकी बाले वचन विवेकी कानूगोह आशाराम है ।।४५॥
कवित्त कुअर भरये गोत्रका
सवैया ३१ ___ मयारामजके नन्द छोटेलाल नाथराम देवीदास रूपचन्द धर्म ही के केतु है। हीरामनिजके सुत माहसीके नन्दराम लालकृष्ण लायक अमूलं दान देत हैं । कुलक कलश कमलापति ओ कुशलसिंघ जिन्हें देखें सूमनिकं होत मुख सेत हैं ॥ तखत अटेर मध्य कुअर भरयेजु दिप मन सुखक पत नाती जोते जश लंत हैं ॥४६॥
कवित्त तीनमुनैयागोत्रका
सवैया २३ लाज भरोजु कृपाराम दियै अरु इच्छा जो गमधरै शुभसाता ॥ धर्मको धाम मयाराम है खर्गसेन सेवाराम महा गुनभ्राता । देश विदेश नरेश कहैं जुशिरे मणिवंश दालिद्रन