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२४४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * साहसीक गोकुल हैं। कहत गुलालजे जपें जिन नामक तखत अटेर मांझ राजत बजाजराइ चिरञ्जीव पूत नातीशाह मयारामक ।। २० ॥ आछै पुण्यवान दयादानके निशान ।
राखौं सबहीके मान सदा आनन्दके धाम हैं । लाज के धरन सेवे नेमिके चरन।
पर काजके करन गान आन जिननाम है ।। भये बड़भागी यदुवंश जोति जागी।।
अब देखि देखि जैहें सज्जन मिहाम हैं । धर्म अवतार शाखि शाखि सिरदार।
आशापतिके कुमार मूलचन्द तुलाराम हैं ॥२१॥ कवित्त वकेबरिया गोत्रका
( सवैया ३१ सा) उधित उदार सिरदार शाखि शाखिनते ।
भाउ शाह वंश दया धर्म ही धरम हैं ।। कुलको कलश कुलदीप दानी छोटेलाल ।
करें सन्मान झर कंचन बरस हैं।