________________
२४६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * अब फीरोजाबाद के वजाजोंका कवित्त
छप्पय प्रथमहीं जारखपुर प्रगट जीति जगजशलीनो । अभय राज सिरताज नाम पोहमी पर कीनो ॥ तिनसुत नथमल दानी पृथ्वीराज गुण माता ॥ लोन कर्ण दुख हरण भयो उमेदराय जुदाता । लऊराइ कहैं वरसत है सभी बीच कंचन झरि, दिल दानी धर्म की खानि ऐसो राज बजाज जहान परि ॥ २६ ॥
कवित्त सिरो पाइ पमारी दुशाला साले दर्वि बहु
चीरा अरु चूरा नीके नो गढ़ नवीने हैं। कीनी जड़ी आवड़ मोल की बड़े मोल थान
वकसि वकसि जगजीति जग जश लीने हैं । नथमल्ल नन्द कुल चन्द द्वन्द के हरण
जिन्हें देखें सुमनि के होत ही इहीने हैं। रीझे रीझे गुनिनि प्रवीणनको लऊराई
ऐसे दान लोन कर्ण कविनिको दीने हैं ।२७/