________________
* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
वजाज अटेर के
( सवैया ३३ सा) मोतिन माल दुशाल अरु शाल घने धनदे जश मोल लिये हैं चीरा जड़ाऊ जुतुरी अनेक दशो दिशि दे कवि जाची अजाची किये हैं। सुन्दर के सुत राब वजाज सवे कवि जाची अजाची किये हैं, भिक्षुक भाट गुणी सबको ऐसे दान दुनीमें उमेदराइ दिये हैं ॥२८॥
मोदी गोत्रको कवित्त करनी कलित सार महिमा अपार ऐसी सुनी वारा पार सो वरनि कवि कोदी है। राजा सुलतानसिंह महाराजाजके राज, अत्र बांधि छत्री सब शत्रुनको खोदी है। गावत गुनीजन दुनीमें सुनी है कान पावत सुदान सनमान भरि गोदी हैं। गजके विलोके सब भज्जत अनन्त दुख, ताके मुतमुख्य भयो सदासुख मोदी है ॥ २६ ॥
दोहा सुन्यो जज्ञ पृथ्वीराज तव कचौरा नग्रसुधाउ । चले खुखंदन पुर दहन, जहाँ बालका राउ । * गांव का नाम है पृथ्वी।