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२३८ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
(सवैया २३ सा) वाबन जज्ञभई जिनकी जदुवंश को उपरि चढावत हैं । करनी करतूतें करीं मानसिंह जो छीतल वंश जगाउत हैं। देव जो राइके नन्द प्रमराज मनीरामको कवि गावत हैं । लऊ देश प्रदेश नरेश कहैं हतिकांतिमें राउत राजत हैं। तीरथ जज्ञ अनेक करें प्रमराजके नामको ऊप करे हैं। करनी करतृते कितेको करी दोऊ कुलकी बड़ी लाजधरे हैं। नन्दकुमारकी बढ़ाई हो कहालों करों शुभ लछिमी जानि सुकृत्त धरे हैं । देश प्रदेश लऊ जश गावत चाल अकाल रोतानी सिरे हैं ॥६॥ कवित्त मुरोंगके रपरियानको
( सवैया ३१ सा) परम प्रतापी वात्तथापी जाकी भूपनिमें बलीराम सुजस लिचया आठो जामके । तिनके सुपुत्र सुत साहसीक नन्दलाल भीमसेन दया दान धर्म ही है धामके ! रप्परिया उदित उदार जदुवंशी सदा पूरनमल मोतीलाल पर कारज कामके । कहैं लऊराइ राजत मुरोंग शुभथान दानकरनीको सिरे पूतनाती गंगारामके ॥ ७ ॥