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* श्री लंबेचू समाजका इतिहास
स्फटिक रतननी मूरति सोहें । भविजनना दीठां मन मोहें । ते बन्दी पीरोजाबाद आव्या जानी मन आह्लाद । फिर उस की बारहवीं डाल में कहा है
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सौरीपुर रलियामणो जनम्या नेमि जिणंद । यमुना नटिनी ने तटे पूज्य होई अनंद || सौरीपुर उत्तर दिसं जमुना तटिनी पार ।
चन्दनवाडी नाम कहे तिहां प्रतिमा छे अपार || इससे स्पष्ट है कि चंदवाड नाम का एक प्राचीन जैन तीर्थक्षेत्र जमना के तट पर फीरोजाबाद के निकट रहा है । जब मैं इसी को और भी जांच खोज कर रहा था तभी २२ सितम्बर, १९३८ के जैन सन्देश में मैंने पढ़ाचन्दवार ( फीरोजाबाद ) का मेला
......"यह चन्दवार क्षेत्र बहुत प्राचीन है। यहां पर ५१ प्रतिष्ठाएँ हो चुकी हैं। इस प्राचीन क्षेत्र का अभी जीर्णोद्वार हा रहा है। फीरोजाबाद के श्री १००८ चन्द्रप्रभुजी की अतिशय मूर्ति इसी क्षेत्र की जमुना नदी से निकली है । और भी प्रतिमायें समय-समय पर निकलती रहती हैं।"