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१६२ * लॅबेचू समाजका इतिहास - उपशाखायें हैं। और यह भी ध्वनित होता है कि प्रायः ये सब राजा जैन थे। इतिहास बढ़ जायगा इससे हम संक्षेपमें लिखते हैं । मौर्य वंशीय राजा चन्द्रगुप्त जगत्प्रसिद्ध आदि जैन थे, जिनका खण्डगिरि उदयगिरिमें प्राचीन शिलालेख २३०० वर्षका राजा खारवेलका खुदाया हुआ मौजूद है। और चौलुक्य वंशीय तथा सोलंकी कच्छप कछया है । इतिहासमें यदुवंशी लिखे है तथा चूड़ा समास महीपाल खंगार मण्डलीक ये सब यादव जैन थे, भाष्कर आदिमें सप्रमाण यादव जैन लिखा है और पर मार वंशीय राजा विक्रम यदुवंशी जैन थे। देखो विक्रम प्रबन्ध और भाष्कर ६ भाग किरण ३ में श्रीगिरनार पर्वतका सुदर्शन झीलका बाँध चन्द्रगुप्त मौर्य के साले स्वेनपुष्पगुप्तने बाँध की मरम्मत कराई मौर्यचन्द्र गुप्त जैन थे, भद्रबाहु मुनिके शिष्य हुये दीक्षा ग्रहण कर उज्जयिनी नगरीसे कर्णाट देश चले गये। देखो भद्रबाहु चरित्र जैनमें और चूड़ासमास वंशमें १६ पीढ़ीमें राजा मण्डलीक भये उन्होंने गिरनार तीर्थ पर दिगम्बर जैन मन्दिर बनवाये देखो ६ भाग भाफरमें, और राजा विक्रम जिनका सम्बत् प्रचलित है, जैन थे।