________________
१७४ * लँबेचू समाजका इतिहास * सूचित होता है। मालब मलयदेश ( चन्दनका देश ) वहाँ चन्दन होता है। मालवेमें भी चोहानोंका सद्भाव पाया जाता है। खडेलवाल चोहानों में से ही है। सिलोन ( लंकामें भी ) चोहान और नेपालमें शीशोदेका भी सद्भाव अब भी है और जैसलमेरसे जैसवाल ये भी यादवनमें पं० माणिकचन्दजी लश्कर गवालियरके श्री नेमिनाथके पद बहुत बनाये है तो चोहान यदुवंशी राठोर यदुवंशी परमार खीची चोहान यदुवंशी और तोमर यदु. वंशी सब यादबोंके साथ गये। हम इतिहास देंगे मालूम होगा खरउ आगोलारारे जातिके इक्ष्वा कुवंश और अर्क कीर्तिसे सूर्यवंश इनको तो कोडाकोडी सागर वर्ष व्यतीत हो गये। अब तक क्या पता गोलसिंगारों की भी प्रतिमा इटावेके मन्दिरमें देखी तो उनमें भी इक्ष्वाकुवंश लिखा पर जब तक सन्तान दर सन्तान वंशावली न खोज कर तब तक क्या कहा जाय। श्रीमान् पं० रइधू कवि जिन्होंने दश लक्षण पूजन प्राकृतमें बनाया है तथा पुण्यास्त्र कथा कोशमें आपने चन्द्रवारके राजा प्रतापरुद्रका उल्लेख किया है जो चन्दवार तथा प्रताप नेहरके राजा जैन राजा