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* लँबेचू समाजका इतिहास * न जीत सके सबको परास्त किया । इन जैत्रसिंहके जयतल जैसल आदि नाम है इनका पुत्रतेजसिंह भया उसको कीतू कीर्तिपाल राजा चोहानके पुत्र चाचिकदेवका पुत्र उदयसिंह की पुत्री ब्याही थी' तब इनमें परस्पर मेल हो गया था पर वीरधवलमें शत्रुता थी।
श्रीमद्गुर्जर मालव तुरुष्कशाकंभरीश्वरैर्यस्य चक्रे नमानभङ्गः सस्त्रः स्थोजयतु जैत्रसिंहनृपः६
आशय इस लेखके शाकम्भरी स्वरसे अभिप्राय नाडोल के चोहानोंसे है चौहान मात्र ने अपनी मूल राजधानी शाकम्भरी साम्हर माना है या सोम्हरी नरेश कहलाते हैं। उसी समय वधेल वंशी राणा वीरधवल हुये। जिनके मंत्री वसुपाल तेजपाल थे। उस समय जैत्रसिंह और वीरधवलकी लड़ाई हुई। जब आपसकी लड़ाईमें तुर्की सुलतान म्लेच्छोने साम्हर जादि प्रदेश घेर लिये होंगे। जबही पं० आशाधर जीने प्रतिष्ठा पाठकी प्रशस्तिमें लिखा है।
म्लेच्छेशेन सपादलक्षविषये व्याप्ते सुवृत्तक्षति त्रासादिन्ध्य नरेन्द्रदोः परिमलस्फूर्य त्रिवर्गेजसि प्राप्तो मालव मण्डले वहुपरीवारः पुरीमावसन् योधारामपठजिन प्रमितिवाकशास्त्रमहावीरतः५