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* लँबेचू समाजका इतिहास * १७५ लमेचुओंमें थे। रइधू कवि पद्मावतीपुरवार थे । १३१६ शताब्दीके बीच में हुये।
दशलक्षण पूजन बनाया पुण्यास्रव कथाकोष आदि रचे रइधू कवि पद्मावतीपुरवार थे और गवालियरके मन्दिरमें धातुकी प्रतिमापर लेख है उस पर इक्ष्वाकुवंश लिखा था,पर जब तक इतिहास उपस्थित न हो तब तक अन्धेरेमें ही है
और खरउआओंका गोत्र एक ठाकुर है। एकबार भिंडमें हमारी दूकानपर उनके सम्बन्धी लड़केका गोना (द्विरागमन) कराने आये थे तो रायविरदवरवानता तो ठाकुर गोत्रका निझास पृथ्वीराज चोहानसे बता रहा था। कविता पढ़ता था। इनके तिहैया जखनिहा असइया गोत्र भी है और खंडेलवालोंके गोत्र कानूनगो तथा बडजात्या (बडोघर)
और मारवाडी अग्रवालोंका ( सोनगरे ) सोनगढ़ काञ्चनगिरके पास देवडागाउ है वहाँसे देवडा चोहानोका निकास है। मारवाडी अग्रवालोंमें देवडा गोत्र है तो भले ही अग्र राजा अग्रोहासे निकास हो पर राजा अग्रसेन कौन वंशी थे देवडा गोत्र से चोहान ही यदुवंशी ही प्रतीत होते हैं और नागोरके पास डेहमें हम गये वेदी प्रतिष्ठा कराई वहाँ इतिहास खंडेलवालोंका देखा कासलीवालगोत्र श्रीमान् सरसेठ हुकुमचन्दजीको चोहान लिखा देखा लोड साजन