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• लँबेचू समाजका इतिहास * आशय जब सांभर देशके सब प्रदेशों पर सुलतान शम्सुद्दीन, अलाउद्दीन खिलजी आदिने घेर लिये तो चारित्र नहीं पलते देख ये मालवेमें घारानगरीमें चले गये
और वहाँ बाकशास्त्र ब्याकरण और ( प्रमिति ) न्यायशास्त्र साहित्यशास्त्र पं० महाबोरसे पड़े। ____ इतने इतिहासके लिखनेका तात्पर्य यह कि चोहानमात्र साम्हरी नरेश कहलाते हैं। दूसरे पाठकों को यह भी मालूम हो जाय कि भरतपाल आदि हमलोग चोहान इधर अन्तर वेद में आये । क्योंकि जब आपसमें फुटन रही और मुसलमान गनीमों ने मौका पाकर घेर लिया शके नहीं तब इधर आकर बसे। कुछ नागोर अजमेर आदि प्रदेश भी म्लेछोंने घरे उधर से भी कुछ आये और शत्रु ओंसे मुकाविला भी किया। उन्हें भगाया भी और नागोरसे भी संबंध सूचित होता है। जो अणुब्बयरयण पईव अपभ्रंश भाषाका ग्रन्थ वहाँ कैसे पहुंचा। वहाँ भी रहे पूर्वकथनसे जाहिर है और चोहान अजमेर से भीआये गजटियरसे सूचित होता है। तीसरे आघाटपुरमें प्रतिमा उपलब्ध होनेसे सीपीमें भी चोहानोंका सद्भाव रहना