________________
* लँबेचू समाजका इतिहास *
१७१
प्रमार वंशी देवपाल राजा था वि० सं० १२८५ में उसी समय १२८५ में अलाउद्दीन समसुद्दीन मुसलमानका हमला हुआ। सवालक ( वालक सपादलक्ष ) अजमेर लाँवा और साम्हर पर चढ़ाई की, उस समय उदयपुरमें राज्य जैत्र सिंह करते थे। शीशोदे कुल के थे ।
पद्मसिंह के पुत्र थे चीरवेका शिलालेख श्रीजैन सिंहस्तनुजोऽस्यजातोऽभिजातिभृभृत्प्रलयानिलाभः सर्वत्रयेन स्फुरिता न केषां चित्तानि कंपंगमितानि सद्यः नमालवीयेन न गौर्जरेण न मारवेशेन न जाङ्गलेन म्लेच्छाधिनाथेन कदापि मानो ग्लानिंन निन्येऽवनिपस्ययस्य
आशय राणा पद्मसिंहके पुत्र जैत्र सिंह हुये सब राजाओंको कपाने में 'प्रलय पवनके समान जहाँ इन्होंने अपनी आज्ञाका प्रसार किया वहां किन २ राजपुत्रोंके चित्त तत्काल न कंपको प्राप्त भये अर्थात् सबके चित्त हिल जाते थे किसी जगहका भी राजा इनका मान भङ्ग न कर सका न मालवेके राजा न गुजरातके राजा न मारवेशके (मारवाड़के) राजा न जाङ्गल देश के राजा न तुर्की के मुसलमानी शमसुद्दीन आदि राजा इस जैत्र सिंह राणाका मान भङ्ग न कर सके