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* लँबेचू समाजका इतिहास - १ है क्योंकि परमार भी हिङ्गलाजगढ़ और भाणपुरके खींची चोहानही हैं। श्रीमान् पं० आशाधरजी बघेरवाल थे और उदयपुर राज्यमें दीवान थे हमको श्रीमान् बाबा चाँद मलजीके साथ एक नरसिंहपुरा जैनने कहा जो उदयपुर रहने वाले थे वे वर्णीजीके परिचर्यामें रहते इटावामें मिले हीरालाल नाम है श्रीमान् पं० आशाधरजी अपने स्वरचित प्रतिष्ठा पाठमें लिखते हैं जो संवत वि० १२८५ में पूर्ण हुआहै उस समय परमार वंशके राजो ( देवा) देवपालका वर्णन अपने प्रतिष्ठा पाठकी प्रशस्तिमें करते हैं। .
. आर्या छन्द विक्रम वर्ष सपञ्चाशीति द्वादशशते प्वतीतेषु आश्विनसितान्त्यदिवसे साहस मल्लापराक्षस्य श्रीदेवपाल नृपतेः प्रमार कुलशेखरस्य सौ राज्ये
नलकच्छ पुरे सिद्धो ग्रन्थोयं नेमिनाथ चैत्य गृहे २० यह आशाधर कृत प्रतिष्ठा पाठ विक्रम सं० १२८५में आश्विनमासकी शुक्लपक्ष पूर्णिमाके दिन पूर्ण किया श्री प्रमार कुलशेखर देवपाल परमार खीची चोहान: राजाकी राज्यमें नलकच्छपुरमें नेमिनाथ जिन चैत्यालयमें वनायो