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* लँबेच समाजका इतिहास *
देशको भूषण राजा है ( अर्जुन राजा होगा ) उसकी राज्य में श्री लक्ष्मीका क्रीडाधाम मण्डलगढ़ नाम किला है । उस साम्हर देश मण्डलगढ़की राजधानीमें श्री लक्षण पिता
और श्री रत्नी मातासे वघरवाल वंशमें आशाधर पंडित हुये।
तो साम्हर देशके होनेसे राजा भरतपाल रावतगोत्रीय लम्बेचूके वंशमें आहवमल्ल राजा और प्रधान कह्नण आशाधर प्रतिष्ठापाठका प्रचार किया। यह सम्मव है या फिर आशाधर के शिष्य कहूण खंडेलवालने प्रतिष्ठापाठ पढ़कर प्रचार किया। १४ वीं शताब्दी १३०५-१३१३ में। और उस समय साम्हरके देशों पर अलाउद्दीन खिलजीने और अलाउद्दीनके कुटुम्बी शमसुद्दीन आदि मुसलमान राजाओंने चढ़ाई कर घेर लिया था तब आशाधरजी चारित्रकी क्षति देख विध्यभूपति राजाके देश मालवेके तरफ नलकन्छपुरमें चले गये। राजा विध्यभूपतिका राज्य विंध्याचल बनारससे लेकर मालवा तक होगा।
क्योंकि एक श्वेताम्बर कनक मुनिसे पता चला है कि विन्ध्याचल पर्वत ( जो चुनारके पास है ) उसमें श्री