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समाजका इतिहास *
पाल ) पृथ्वीमल राजा हुए। उसके पीछे पृथ्वीमल के पुत्र भुवन सिंह ने सीसोदे की जागीर पाई। राणपुर के ( मन्दिर के ) जिन मंदिर के वि० सं० १४६६ लेख में उसको चाहमान (चौहान) राजा कीतू ( कीर्तिपाल ) सुरत्राण, अल्लाउद्दीन ( सुल्तान अल्लाउद्दीन ) खिलजी को जीतने वाला कहा गया है । परन्तु उपर्युक्त कीतू से इसका मिलान नहीं । ये कोई दूसरे कीर्तिपाल १५ वीं शताब्दी के होंगे या उन कीतू का ही हो शिला लेख पीछ देरी से लिखा गया हो । ओझा जी तो विश्वास योग्य नहीं कहते परन्तु यह शिला लेख है झूठा नहीं लिख सकते । इस राजपूताने इतिहास में पेज ५११ में भुवन सिंह के विषय में लिखा है । टिप्पण में ( १ ) भुवनसिंह के एक पुत्र चन्द्रा के वंशज चन्द्रावत कहलाये, जिनके अधीन रामपुरे का इलाका था, चन्द्रावतों का वृत्तान्त उदयपुर राज्य के इतिहास के अन्त में दिया जाया । वीर चरितावली में लिखा है कि राणा हमीर को चन्दावत सरदार की पुत्री ब्याही थी । टिप्पण ( २ ) चाहुमान श्री कीर्तुक नृप श्री अल्लावद्दीन सुरत्राण जैत्रवप्प वंश श्री भुवन सिंह |
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