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१५० *श्री लवेचू समाजका इतिहास * करता हूँ कि लँम्बेचू जाति का ही नहीं, किन्तु समस्त जैन जातियों को गौरव और हर्ष का लाभ होगा। और भद्दल पुर का मेरा अनुमान करीब करीव ठीक ही निकला, क्योंकि इस पट्टावली में मेलसेको भद्दल पुर कहा है। यह भी ग्वालितर जिले में ही है। और कुछ हो भिण्ड अटेर वटेश्वर ( वटक्षेत्र ) सूरीपुर को और मेलसा को (कुछ) ही अन्तर है। अब मैं इस लेख को यहाँ ही स्थगित करता हूँ। और प्रार्थना करता हूँ कि, मेरे भाई लोग उपर्युक्त वंशावली और आचार्य पट्टावली से अपना गौरव और उच्चादर्श पढ़कर विचारशीलों को चाहिये कि, उच्चाचरण उच्चादर्श का स्वाभिमान रख उच्च शिक्षा में स्वयं प्रवर्तित हों। और सन्तान को प्रवर्ता, यही इस इतिहास लिखने का ध्येय है। श्री स्वस्ति भद्रश्चास्तु ।
जिननगर व देश सम्बन्ध से हमकों गोत्रों का सम्बन्ध व अस्तित्व मिला है, वे नगर, शहर या ग्राम किसीन-किसी रूपमें उपलब्ध हैं, जैसे इटावा के पास वकेउर कसबा है फीरोजाबाद के पास चन्दवार है, भिण्डके पास गोहद है, झाँसी व ग्वालियर जिला है। इसमें जो राजा साहब ऐसा