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* श्री लॅवेचू समाजका इतिहास - १५१ जिकर आया है सो मेरे समझ में राजा भदोरिया हैं, यह भिंड, अटेर, हतिकांति, वाह, जैतपुर, पानो, नोगाओ (नोगांव ) नदी का गांव ये सब भदावर प्रान्त में ही हैं। भदावर यह शन्द पहले इतिहास में हमनें भद्दलपुर का अपभ्रंश है, या भद्दलपुर मेलसा से क्षत्रिय राजा वलोहाचार्य इधर आये, इससे उस कारण यह देश भदावर कहलाया, परन्तु अबतो ( लम्बकञ्चक ) लँबेचू वंश चोहान सावित होता है और राजा भदावर भी (भदोरियाभी) चोहान में से हैं और राणा गुहदत्त से गुहिलवंश तथा राठोर रणमल्ल तथा परमारवंश ये सब यदुवंश में से ही प्रतीत होते हैं । सोलंकी चौलुक्य वंशी ये सब यदुवंश की शाखायें उपशाखायें हैं । जोधपुर ( राजपुताने ) के इतिहास में पेज ५८४,८५ के में श्री गौरीशंकर झा एक जगह गुहिलवंश को सूर्यवंश लिखते हैं दूसरी जगह चन्द्रवंश लिखते हैं। गुहिलवंशीय सोसौदिया राणा हमीर के पुत्र लाखा और लाखा के पुत्र (चूड़ा) चंड और मुकल ( मोकल ) चूड़ा को लिखते हैं। चूड़ा के गुहिल वंश की राणी से अधिक प्रेम था।
एक जगह चूड़ा का चड़ा-समास वंशको यादव लिखा