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* श्री लवेचू समाजका इतिहास * यहाँ एक-एक अक्षर से सब नामों का ग्रहण हुआ। उसी प्रकार इंगलिश में जैसे यस. पी. जैन से सुमति प्रसाद जैन और वी. आर. सी. जैन से विद्यार्थी ऋषभदास जैन डी. गुप्ता से दास गुप्त इस प्रकार अंगरेजी में भी लेते हैं ऐसे ही लमेचुहान से चोहान तथा चाहमान से चोहान भया । स्पष्टतया लम्बेच समाज का बोधक है। और वंशावली आदि से स्पष्ट है ही कि लम्बेच चोहान हैं। और लम्बेच चोहान हैं और राजा साहब के नौकरी करी सोराजा भदौरिया लिये और भदौरिया भी चोहान में से ही हैं। भिंड का किला राजा भदौरिया का ही बनवाया हुआ है,
और अटेर में भी उन्हीं का बनवाया हुआ किला है। भिंड किले के नीचे तल्ले में पुरानी बस्ती की तरफ किले में भिंडी ऋषि का स्थान है। उन्हीं के नाम से शहर का नाम भिंड पड़ा। ये जैन ऋषि थे । सूरीपुर की पट्टावली में नाम आया है कि भिंडी ऋषि भिंड में भये उस भिंडी ऋषि के. स्थान में किले के नोचे दरवाजे से चोधरी गोत्र लमेचुओं के विवाह शादीमें पूड़ी, पापड़ो,गोझा (पकवान),अखड़ब लेकर जाते चढ़ाते छोटे में हम भी उनके साथ में व्योहार में