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* श्री. बेधु समाजका इतिहास. १२१ राणा विक्रमजीत के दो पुत्र भये। एक अगरसिंह सकरोली के राजा भये, जो एटा जिले में है और दूसरे प्रताप रुद्र प्रताप नहर के राजा भये। प्रताप रुद्र के प्रधान मन्त्री भगवन्तसिंह जो कानूनगो ( कानीगो ) थे, जिनको भैयाजू की खिताब थी। इन्हीं के वंश में शिखरप्रसाद और चेतसिंह भये, जिनकी जमींदारी करहल के आस-पास मैनपुरी जिले में बड़ी जमीदारी है। जिनके शिखरप्रसाद के दत्तक पुत्र (गोद) लाला फुलजारीलाल थे और उनके गोद लाला मिजाजीलाल हैं। उनके औरस पुत्र लाला ऋषभदास हैं और चेतसिंह के लड़की के पुत्र लाला बाबूराम हैं। अब ये जुदे-जुदे जमींदार हैं। सं० विक्रम १६१४ की साल सन् १८५७ के गदर में चेतसिंह और लहरिया ब्राम्हणों ने करहल शहर की रक्षा की। चेतसिंह कड़ावीन लेकर घोड़े पर सवार होकर गोली से डाकुओं को भगाते थे। जब इनका आपस में मुकद्दमा चला, तब कागजातों में यह विषय निकला था।
भगवन्तसिंह ( भगवन्त राय ) के दो स्त्रियां थीं। प्रथम स्त्री के लालसेन उनके पुत्र चैनसुख ( परमानन्द )