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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * और लहारिया इन ६ घरानों के ब्राह्मण इस जिलेमें जमींदार किसान और अन्य व्यवसाय द्वारा अपनी जीविका उपार्जन करते रहे हैं। इन ब्राह्मणोंमें ६ घरानेकी अलग अलग जमींदारियां हैं जिनमें सबसे बड़ी जमींदारी लखना की है।
इटावे को रियासतें .. इटावा जिले में क्षत्रियों का भी काफी बोलबाला रहा है। इटावा गजेटियर' से पता चलता है कि दिल्ली के चौहान राजा पृथ्वीराज के वंशज सुमेर शाह ने पहले पहल इटावा को मेवों से छीन लिया। फरुखाबाद जिले में स्थिति छिवरामऊ से लेकर जमुना नदीके तट कक ११६२ गावों पर सुमेर शाह ने कन्जा कर लिया था। इस प्रकार सुमेर शाह ने परतापनेरा चकरनगर और सकरोली के चौहान बंश की नींव डाली। १८५७ में जब भारत में राज क्रान्ति हुई तो विद्रोहियों का साथ देने का कारण चकरनगर और सकरोली को जमींदारो अंग्रेजों ने जप्त कर लो। जसोहन और किशनी की जमोंदारी कालांतर में घट गयी और ये बहुत छोटे से जमींदार रह गये ।
रण