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१२ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
गोपाल सिंह की चौथी पीढ़ी में राजा दरयाव सिंह हुए, जिन्हें अंग्रेजों ने राजा की उपाधि देकर फिर परतापनेर का राजा बनाया। राजा दरयाव सिंह के उत्तराधिकारी चेत सिंह हुए, जिनके समय में राज्य की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई जिसके कारण परतापनेर रियासत में केवल ११ गाँव रह गये। चेतसिंह के बाद उनके पुत्र लोकेन्द्र सिंह रियासत के मालिक हुए पर इनकी बुद्धि कमजोर थी इस कारण उनकी तथा रियासत की व्यवस्था सब लोकेन्द्र सिंह के चाचा जुहार सिंह को सौंपी गई। जुहार सिंह अंग्रेजों का बहुत कृपापात्र था। १८५७ की राज्य क्रान्ति के समय उसने अंग्रेजों को बहुत मदद पहुँचाई थी। चकर नगर के राजा ने विद्रोहियों का साथ दिया था इसलिये अंग्रेजों ने जुहार सिंह को चकर नगर के कई गाँव भेंट कर दिये थे।
१८८६ ईस्वी में राजा लोकेन्द्र सिंह की मृत्यु हुई और उनके पुत्र मुहकम सिंह गद्दीपर दैठे। मुहकम सिंह भी बड़े शाह खर्च थे। रियासत की व्यवस्था इनके शासन काल में बहुत खराब हो गई। राजा का चरित्र