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*श्री व समाजका इतिहास * ११७ पिता सिद्धार्थ राजा कहते हैं :संप्राप्त जन्मापि बंद्य स्त्वं चेह नाहकं पुनः जातः पङ्काद्धृतः पयो नपङ्कोमस्तके बुधैः ॥
कमल कीचड़ से उत्पन्न होता है तो पद्म याने कमल को सव कोई मस्तक पर रखता है कीचड़को नहीं इत्यादि सुन्दर कथन है। इन कृति सहस्रनाम भी है। वासाधर मन्त्री हरराज का भाई लम्बेच थे। सोमदेव के पुत्र थे पर जायसवाल नहीं थे। क्योंकि वंवावदे के सरदार हरराज हालू (हमीर) यो चन्द्रराज संवत् १४४६ में हुये और हरराज से हाड़ा, चोहान कहलाये। हाड़ा चोहानों के मूल पुरुष हरराज लिखा है। हरराज के ही हाल (हमीर) चन्द्रराज नामान्तर है। अब भी हरदा में लम्बेचुओं के २० घर होंगे। तब सारंगनरेन्द्र के मन्त्री वासाधर लम्बेच ही थे। (जायस) जैसवाल नहीं। __- और साम्हर के रहनेवाले चोहान साम्हरी नरेश कहलाते हैं। प्रथम सोजीराम को मणिकरावने मंत्री बनाया। ८४ गांवका शासन किया। साम्हरका नाम शाकम्बरी भूषण सपादलक्ष विषय है इससे सवालाख गांव लगते थे।