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१०६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * हमारा चंदोरिया गोत्र है ही और ६०० वर्षों से राज्य रहा तो कई चन्द्रदेव हो सके हैं। जैसे कि ८ वीं शताब्दीमें प्रथम कृष्ण द्वितीय कृष्ण प्रथम गोविन्द द्वितीय गोविन्द राजाओं की गद्दी होती रही। इन्हीं प्रथम कृष्ण-दन्तिदुर्ग राठोर के ( महाराष्ट्र ) वंशमें ग्वालियर महाराज की गद्दियां होती हैं। माधवराव जयाजी राव और फिर माधवराव ऐसे ही ये होंगे। तीसरे कई चन्द्रदेव कई चन्द्रपाल इस लम्बेचू चौहान वंशमें हुये देखो दूसरे शिलालेख में इस प्रकार है:____ श्रीयुत पं० जगन्नाथ तिवारीजी ने जैन सिद्धान्त भास्कर भाग १३ पेज ७ में लिखा है कि सं० १००० से लेकर १६०० तक के ६०० वर्ष के काल में दिगम्बर जैनियों का राज्य इस नगर में ( चन्दवार ) में रहा है।
वि० सं० १०५४ में चन्द्रपाल दिगम्बर जैन राजा हुआ। जिसका दीवान राम सिंह हारुल जो लम्बकञ्चुक (लम्बेचू ) दिगम्बर जैन थे वि० सं० १०५३।१०५६ में कई प्रतिष्ठायें कराई हैं। इन प्रतापी राजा चन्द्रपाल के नाम से ही इस नगर का नाम चन्दवार पड़ा । आपने चन्द्रपाल को पल्लीवाल लिखा है । सो भूल से लिखा गया है।
तुम्हारा ही लिखे हुये लेख में लिखा है कि