________________
११२ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * तउवासिंह साधु जी ऊणसीहेन प्रतिष्टाकारापिता यह फिरोजोबाद छिपेटी मुहल्ला के जैन मन्दिरकी मूर्तिका लेख है। भाग १३ पंज ८ भास्करमें छपा है । इससे स्पष्ट हो जाता है राजा रामचन्द्रदेव भी लम्बकञ्चुक थे तथा चुन्नीदेव राडत भी लंबेचू थे और चन्द्रपाटदुर्ग चन्दवार किलेके रहनेवाले थे
और हाउली रोय राउत गोत्र के लँबेच तथा रामसिंह मंत्री सब लवेच थे और सं० १४४८ की प्रतिमा की प्रति में तथा अनेकान्त पत्र किरण ८६ पेज ३४६ में।
अथ सम्वत्सरे १४६८ ज्येष्ठ पञ्च दश्यां शुक्रवासरे श्रीमचन्द्र पाट नगरे महाराजाधिराज श्री रामचन्द्रदेव राज्ये तत्र श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये श्रीमूलसंघे गुर्जरगोष्ठि तिहुयण गिरिया साधु श्री जगसिंह भार्या सोमा तयोः पुत्रा चत्वारः प्रथमपुत्र उदैसिंह द्वितीय अजय सिंह तृतीय पहमराज चतुर्थ खामदेव ज्येष्ठ पुत्र उद्दसिंहभार्या रतो त्रयोपुत्राः ज्येष्ठ पुत्र देल्हा भार्या हिरोतयोः पुत्रौ द्वौ ज्येष्ठ पुत्र हालू द्वितीय अर्जुन ( ज्ञानावरणी कर्मक्षयार्थ इदं षट्कर्मोपदेश 'शास्त्रं लिखापितं ) इसमें संवत् १४६८ में श्रीरामचन्द्र राजा
थे तो रामचन्द्रजी का ही राज्य ४० वर्ष तक और राज्य