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११० श्री लॅबेचू समाजका इतिहास * ____ यह कनकदेव राजा सोनपाल होसके हैं जिनसे सोनी गोत्र हुआ और सोनी को संघपति संघाटक पद मिलने से संघी हुये और इन्होंने सोनी (सोनिया गांव) जिसको आजकल के लोगों ने कुछ का कुछ लिख मारा है । सोनिया को सोहनिया गांव लिखने लग हैं अभी भी गवालियर जिले भिण्ड से तीसरा स्टेशन सोनी है जो सोनिया गांव के नाम से हुआ है। सोनिया गांव में राजा सोनपाल ( कनकपाल ) ने कनक मठ बनवाया । जिसका दर्शन ४ कोश ८ मील से होता है। इतना ऊँचा है और लम्वृ वंश जब जूनागढ़ गुजगत से १४६ की वर्ष में चलकर इधर आया तो फुटकर अनेक जगह रहने का सत्व मिद्ध होता है। ये तो करोड़ों की संख्या में थे। साम्हर नागोर आदि ये रहे हैं यह तो ओझा ही लिखते हैं जिन मन्दिर था। जिसमें की प्रतिमा हटा कर अजैनों ने एक लम्बा पत्थर छटवाकर गड़वा दिया
और उसे महादेव का मन्दिर बोलने लगे पर अब भी उस कनक मठ के चारों कोनों में ४ मन्दिर भन्न पड़े हैं और उन कोनों के पास जैन मूर्तियां पड़ी हैं हम और तारा