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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
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चन्द्रपाल इटावा अञ्चलके एक राजा का नाम था सो विश्वकोष मेरे सामने कलकत्तामें छपा है । इटावा और प्रोजाबादका कुछ ही फर्क है 1
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जैसा आदमी ने समझा वैसा लिखा दिया चन्द्रपाल चन्द्रवार के राजा हुये और वे लॅम्बेचू थे । पल्लीवाल नहीं प्रतिमालेख अशुद्ध नहीं हो सकते। लम्बकञ्चकान्वये चन्द्रदेव राज्ये चन्द्रवार फीरोजाबादसे ४ मील फासले पर है । भास्कर में भी लिखते हैं और हम खुद जाकर मेले में चन्दवारमें देखा है । १००० संवत् तक की माथुरगच्छ के आचार्यों की प्रतिष्ठा कराई हुई दो फुट तीन फुट की बहुत प्रतिमायें एक दालान में पड़ी थी। पद्मावतीपुरवाल जन यात्री लोग वे समझीसे पानीका लोटा भर के उनके ऊपर धर देते थे । तब मैंने लोगों को उपदेश दिया । तब वे प्रतिमायें हिफाजत से कहीं रखी होंगी। दूसरी बार मैंने नहीं पाई ।
एक शिला लेख छपा है देशी पाषाण बादामी रंग का तीन फुटकी मूर्ति सं० १०५६ अगहन सुदी ५ गुरौ तिथौ रमाद्यकान्त्यावलि कनकदेव सुतः कोकः निर्मापितः