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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास
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पर राजा मुझ जिसका नाम मूर्तध्वज था अपने दो लड़कों के साथ राजा युधिष्ठिर से लड़ा। इस संबंध में अब भी मूर्तध्वज के किले के दो गुम्बज की ओर संकेत कर लोग बताते हैं । खेरा के उत्तर में एक पुराना कुआँ है जो बड़े कंकड़ों से बना है। मालूम पड़ता है कि थे टुकड़े किसी पुरानी इमारत से निकाले गये थे ।
इस खेड़ा में बहुत से फर्श लगे हैं जो आधुनिक मकानों में काम में लाये जाते हैं और जो यहां ३०, ४० फीट नीचे तक मिलते हैं। मि० ह्यम ने इस स्थान को मूज बताया है जो १०१८ में महमूद गजनी द्वारा अधिकार में कर लिया गया था ।
बाली खुर्द, तहसील भरथना
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यह एक बड़ा गाँव है जो २६४४ अक्षांश उत्तर तथा ७९१७ अक्षाँश पूर्व, इटावा से १४ मील पूर्व तथा भरथना से ४ मील है । १६०१ में इसकी आबादी २८४७ थी जिनमें बनिया और अहीरों की संख्या अधिक थी। यहां पर प्राचीन खेड़ा है जिसके चारों ओर बिनसिया के चौधरी जयचन्द द्वारा एक प्राचीर है