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* श्री लंबेचू समाजका इतिहास * ६५ मुहाल थे। बड़पुरा इनका हेड क्वार्टर था और नरेन्द्र सिंह बड़पुरा के राव के नाम से विख्यात-थे। १८०४ में जब राव नरेन्द्र सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया तो अंग्रेजों ने उनकी रियासत को छीन लिया। केवल बड़पुरा इनके अधिकार में रह गया था। अंग्रेजों ने बाद में उसे भी छीन कर नीलाम कर दिया। बाद में कई पीढ़ियों के बाद कुछ गाँव दिये गये। जिन पर भदौरिया का अब भी अधिकार है।
मलाजनी की रियासत भी इटावे में है जिसकी स्थापना परिहार राजपत जंगजीत ने की थी। जब इस राज के राजा महासिंह पन्ना के राजा से लड़ते हुए मारे गये थे तो उनके लड़के दीप सिंह जालोन जिले के सिद्धपुरा नामक स्थान में भाग गये थे। दीप सिंह ने लाहर के राजा और सकरौली के राणा की लड़कियों के साथ शादी की। १८१३ में इन्होंने इटावा जिले में ८ गाँव खरीदे और राजा की उपाधि ग्रहण की। इस छोटी-सी जमींदारी के मालिक मलाजनी के राजा अंग्रेजों के बड़े भक्त रहे। इस कारण १८८६ में अंग्रेजों ने इनकी राजा की उपाधि को स्वीकार कर लिया।