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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * पास रहा शाह सोजीरामजी को राजा माणिकराव ने अपने देश को दीवानगी दीनी अजमेर गढ़ था १ एक सो निन्याणवे की सालमें शाह सोजीरामजी गुरु पर्वत सरजी का सिक्ख शिष्य छा गुरुरंगाचारीजी विंशोत्तरी मंत्र दीनो जद साम्हर में निमक पैदायश भयो जब चोरासी गढ़न को राज भार शाह सोजीरामजी को दीनों शाह सोजीरामजी के बेटा सवहरण प्रधान रहै छोटे भाई हर करण कानीगोह रहै राजा माणिकराव के धुवल राजा भयो जीकी साथ प्रधान वनवीर देवजी छा राजा धुवलदेव के राजा धर्मचंद भया। जिसके साथ प्रधान राणा भीम करण रहा। उस स्थान लूणावास करो पीछे फेर राणा वीसल मण्डलीक भये सं० ३५३ की साल में तिनके साथ प्रधान बलकरण जी रहै । जिन्होंने यज्ञ प्रतिष्ठा कराई एक करोड़ पचहत्तर लाख छत्तीस हजार नो सो निन्याणवे रुपये लगे १७५३६६६६ रुपये लगे तब लक्ष्मीने सापसा दीनो कि आज से तुम्हारे वंश में कोई करोड़ पति (कोटिध्वज) नहीं हो फिर राजा लाखनसिंह भये जिनके साथ में प्रधान अशोकमलजी हुआ फेर देवदुसल राजा हुआ जाकी साथ