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*श्री लँबेचू समाजका इतिहास : खोज कर उद्धार कराया। मेला लगवाया इटावा के जैन भाइयों ने खर्चाकर जीर्णोद्धार किया। विनय सागर मुनि का सम्बन्ध वटेश्वर वरीपुर श्री नेमिनाथ की जन्म नगरी से भी है गुरु परंपराय शिला लेख से सूचित होती है और यह महाराणा सुमेरसिंह से भी किले के जिन मन्दिर से भी सम्बन्ध है।
राणा सुमेरुसिंह चोहान यदुवंश मे ही है इस इतिहास से स्पष्ट है और भी ऐतिहासिक प्रमाण पीछे लिखेंगे
और इटावा गजेटियर में भी इसका वृत्तान्त है और लोगों ने द्वष के कारण राणा सुमेरुसिंह को जैन नहीं लिखाया है परन्तु इस पटिया लोगों की लिखित वंशावली से स्पष्ट मूचित होता है कि राणा सुमेरुसिंह ने जब जिन मन्दिर बनवाया तो जैन थे और उनकी रियासतों के नाम से लबेचूं जाति के गोत्र अलल हो गये। ___ जैसे जाखन से जखनिया गोत्र और वकेवर से वकंवरिया गोत्र कुदर कोट से कुदरा गोत्र है और विक्रमपुर आदि इटावे के प्रदेश बंशावली से मिलते हैं तथा रइधू कवि के पून्याश्रव आदि से प्रतापरुद्र आदि का विवरण