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७४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * कृष्णवंशी राजा लोमकर्ण ने लमकाञ्च देश ( लाँवा शहर ) बसाया तिनके द्वादश पुत्र भये ( इस समय सरदार शहर लाँवा का ठिकाणा है गुजरात में काञ्चनगिरि सोनगढ़ तक ऐसा जोधपुर इतिहास में लिखा है) इन्होंने द्वादश गोत्र का अर्चन किया तिनके द्वादश गोत्र कहाये अलल कहाये। प्रथम गोत्र काश्यप १ द्वितीय वत्स २ तृतीय विजयी कृष्ण ३ चोथा गोत्र गौतम ४ भारद्वाज ५ वशिष्ट ६ शांडिल्य ७ गर्ग ८ चान्द्रायण ६ कौत्स १० उपमन्यु ११ पुरावी १२ तिनके १२ अलल भये १ प्र० सोनी गोत्र २ वजाज ३रपरिया ४ चन्दोरिया ५ रावत ६ वकेवरिया ७ मुंजवार ८ सुहाने ६ चोत्थारी १० वरोलिया ११ पचोलये १२ कुअरभरये तिनहीमें से एक एक सत्ता भया तिनमें से ८४ खाँपे हुई एक १ अलल में से सात ७ खापे हुई सोनी गोत्र में से ७ खाँपे हुई कानूनगोह ( कानीगो ) १ पोदार :: संघई ३ चोधरी ४ तिहैय्या ५ मोदी ६ (कोठीवार) कोठारिया ७ रपरियन में से ७ खाप पटवारी १ पचलिहा २ गोहदिया ३ मुडहा ४ बदरआ ५ बजाज ६ वकेवरिया ७ रावत ८ कुअरभरये